UP TGT PAPER DOWNLOAD PDF, UP TGT PAPER PDF, UP TGT PAPER PATTERN, UP TGT PHYSICS PAPER, UP TGT SCIENCE PAPER, UP TGT Exam kab hoga,
UPTGT Science Exam Pattern –
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड TGT / PGT प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक / प्रवक्ता की भर्ती का आयोजन समय-समय पर किया जाता है, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड द्वारा आयोजित TGT विज्ञान पाठ्यक्रम में भौतिकी तथा रसायन से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं, कुल प्रश्नों की संख्या 125 होती है और प्रत्येक प्रश्न के लिए 4 अंक निर्धारित होते हैं और कोई भी नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान नहीं है, उत्तर प्रदेश माध्यमिक सेवा शिक्षा चयन बोर्ड द्वारा निर्धारित TGT विज्ञान भौतिक एवं रसायन का पाठ्यक्रम Syllabus इस प्रकार है
UP TGT Paper Download PDF, TGT Science Paper Pdf
1. पानी का आयतन प्रसार गुणांक न्यूनतम होता है-
(a) 0°C
(b) 4°C
(c) 15.5°C
(d) 100°C
✅उत्तर-(b) : द्रवों का कोई निश्चित आकृति न होने के कारण इनका केवल आयतन प्रसार ही संभव है। प्रायः गर्म किये जाने पर सभी द्रवों का आयतन बढ़ता है और घनत्व घटता है परन्तु 0°C से 4°C तक जल को गर्म करने पर इसका आयतन घटता है और घनत्व बढ़ता है। इसे ही जल का असामान्य प्रसार कहते है।
- यदि जल को उसके क्वथनांक 100°C से ठण्डा किया जाय तो पाया जाता है कि 100°C से 3.98°C (लगभग 4°C) तक तो जल का आयतन अन्य द्रवों की भांति, घटता जाता है परन्तु 3.98°C से 0°C (जब जल ठोस बर्फ में बदल जाता है) तक जल का आयतन बढ़ता जाता है
- अर्थात् द्रवों का आयतन उसके हिमांक पर न्यूनतम होता है जबकि जल का आयतन उसके हिमांक 0°C से ताप (3.98°C) पर न्यूनतम होता है।
2. साम्य अवस्था में –
(a) वस्तु के सभी हिस्से समान ताप पर होते हैं।
(b) उष्मा का कोई प्रवाह नहीं होता है।
(c) उष्मा का कोई अवशोषण नहीं होता है।
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर- (a) उष्मागतिकी में साम्यावस्था से तात्पर्य निकाय की उस अवस्था से है जब निकाय को अभिलक्षणित करने वाले स्थूल चर समय के साथ परिवर्तित नहीं होते। भिन्न-भिन्न ताप पर दो वस्तुएं जब एक-दूसरे के सम्पर्क में लाई जाती है तो इस समय दोनों के बीच उष्मा का आदान-प्रदान होता है।
- गरम वस्तु से ठंडी वस्तु में उष्मा का स्थानान्तरण हो रहा है। अतः एक ऐसी स्थिति आ जाती है। जब एक वस्तु से दूसरी वस्तु में अब और ऊर्जा का प्रवाह नहीं होता। इस स्थिति को तापीय साम्य की स्थिति कहते है। इस स्थिति में यह कहा जाता है कि दोनों वस्तुओं का ताप समान है।
3. एक धातु प्लेट का उष्मा चालकता गुणांक निर्भर करता है-
(a) दो सिरों के बीच ताप परिवर्तन पर
(b) प्लेट की मोटाई पर
(c) प्लेट के क्षेत्रफल पर
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
✅उत्तर- (d) किसी पदार्थ के लिए K का मान जितना अधिक होता है उतनी ही शीघ्रता से वह उष्मा का चालन करता है। इसलिए धातु प्लेट का उष्मा चालकता गुणांक प्लेट के पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।
4. सामान्यतः पानी गर्म होता है-
(a) चालन
(b) संवहन
(c) विकिरण
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर-(b) पानी संवहन की क्रिया द्वारा गर्म होता है। साधारणतया उष्मा का स्थानान्तरण तीन विधियों चालन, संवहन और विकिरण | द्वारा होता है। ठोसों में प्रायः उष्मा चालन द्वारा स्थानांतरित होती है। द्रवों तथा गैसों में उष्मा संवहन द्वारा स्थानांतरित होती है।
- चालन अथवा संवहन इन दोनों प्रक्रमों में उष्मा स्थानांतरण के लिए माध्यम आवश्यक है। विकिरण द्वारा उष्मा के स्थानांतरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती। हम सूर्य से उष्मा विकिरण प्रक्रिया द्वारा प्राप्त करते हैं।
5. “उष्मा के अच्छा अवशोषक उष्मा के अच्छे उत्संजक भी होते हैं”, है-
(a) स्टीफन का नियम
(b) किरचॉफ का नियम
(c) प्लांक का नियम
(d) विन्स का नियम
✅उत्तर-(b) किरचॉफ के अनुसार, “उष्मा के अच्छे अवशोषक ही अच्छे उत्सर्जक होते है।” यदि कोई पृष्ठ किसी विशेष तरंगदैर्ध्य के विकिरण का अच्छा अवशोषण करता है तो वह उसी तरंगदैर्ध्य के विकिरण का अच्छा उत्सर्जन भी करेगा।
- उदाहरण: स्वरूप लाल काँच इसलिए लाल दिखाई पड़ता है क्योंकि यह अपने ऊपर गिरने वाले प्रकाश में से लाल प्रकाश को बहुत अल्प मात्रा में तथा शेष रंगों के प्रकाश को अत्यधिक मात्रा में अवशोषित कर लेता है।
6. किसी वस्तु की उष्माधारिता निर्भर करती है-
(a) दी गयी उष्मा पर
(b) बढ़ाये गये ताप पर
(c) वस्तु के द्रव्यमान पर
(d) वस्तु के आयतन पर
✅उत्तर-(c): किसी पदार्थ के ताप में परिवर्तन, जबकि उष्मा की एक दी गई मात्रा को वह पदार्थ अवशोषित करता है अथवा बहिष्कृत करता है, उसे पदार्थ की उष्मा धारिता कहते हैं। पदार्थ के ताप में परिवर्तन द्वारा इसे अभिलक्षित की जाती है।
- अर्थात् किसी वस्तु के कुल द्रव्यमान का ताप 1°C बढ़ाने के लिए आवश्यक उष्मा की मात्रा को उस वस्तु की उष्मा धारिता कहते हैं। इसका मान वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करता है।
- इसका मात्रक जूल प्रति डिग्री सेल्सियस अथवा कैलोरी प्रति डिग्री सेल्सियस होता है। इस प्रकार उष्मा धारिता वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करती है।
7. किसी पदार्थ की विशिष्ट उष्मा निर्भर करती है-
(a) द्रव्यमान पर
(b) आयतन पर
(c) ताप पर
(d) प्रकृति पर
✅उत्तर- (d) किसी पदार्थ के 1 ग्राम द्रव्यमान का ताप 1°C बढ़ाने के लिए आवश्यक उष्मा की मात्रा को उस पदार्थ की विशिष्ट उष्मा कहते हैं।
- इसका मान पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है। इसका मात्रक कैलोरी / ग्राम °C या जूल किया.K होता है। द्रवों में जल की विशिष्ट उष्मा का मान अन्य द्रवों की तुलना में सर्वाधिक होता है।
8. निम्न में से कौन-सी वस्तु की प्रत्येक स्थिति के लिये आभासी व सीधा प्रतिविम्ब बनायेगा –
(a) उत्तल दर्पण
(b) उत्तल लेंस
(c) अवतल दर्पण
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
✅उत्तर- (a) यदि किसी गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर उभरा हुआ होता है तो वह उत्तल दर्पण होता है।
- उत्तल दर्पण में वस्तु का प्रतिबिम्ब, आभासी, सीधा और छोटा बनता है। क्योंकि उत्तल दर्पण में प्रतिबिम्ब फोकस बिन्दु से पहले बनता है। उत्तल दर्पण का प्रयोग वाहनों में दृष्टि क्षेत्र बढ़ाने वाले दर्पण के रूप में, गलियों में लगे लैम्पों में परावर्तक के रूप में करते हैं।
- अवतल दर्पण वे गोलीय दर्पण होते है जिनके उभरे हुए तल पर पॉलिश होता है तथा परावर्तन अन्दर की ओर दबी सतह से होता है। अवतल दर्पण में वस्तु का प्रतिबिम्ब वस्तु से छोटा, उल्टा तथा वास्तविक बनता है। इसका प्रयोग डॉक्टर आँख, नाक, दाँत, गले आदि का परीक्षण करने में करते हैं।
9. अवतल दर्पण के लिये यदि X1 व X2 वस्तु तथा इसके प्रतिबिम्ब की फोकस से दूरियाँ है, तो दर्पण की फोकस दूरी है-
(a) X1×X2
(b) (X1+X2)/2
(c) (X1×X2)/(X1+X2)
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर- (c)
10. किसी लेन्स के दोनों पृष्ठों की वक्रता त्रिज्यायें समान (R) है, तथा इसके पदार्थ का अपवर्तनांक 1.5 है। इसकी फोकस दूरी होगी।
- +-R
- +2R
- +-R/2
- शून्य
✅उत्तर- (a)
11. किसी पदार्थ का अपवर्तनांक महत्तम होता है-
(a) लाल रंग के प्रकाश के लिये
(b) हरे रंग के प्रकाश के लिये
(c) बंगनी रंग के प्रकाश के लिये
(d) प्रकाश के सभी रंगों के लिये समान
✅उत्तर-(c): किसी भी पदार्थ का अपवर्तनांक उसके तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करता है। पदार्थ के तरंगदैर्ध्य और अपवर्तनांक में व्युत्क्रमानुपाती सम्बन्ध होता है। तरंगदैर्ध्य बढ़ने पर अपवर्तनांक घटेगा तथा अपवर्तनांक बढ़ने पर तरंगदैर्ध्य घटेगा।
- बैगनी रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे कम होता है इसलिए उसका अपवर्तनांक सबसे अधिक होगा। लाल रंग का सबसे अधिक होता है इसलिए अपवर्तक सबसे कम होता है।
12. किसी उत्तल लैन्स के लिये वस्तु तथा इसके द्वारा बने वास्तविक प्रतिबिम्ब के बीच न्यूनतम दूरी है-
- 25
- 4f
- f
- f/2
✅उत्तर-(c): किसी उत्तल लेन्स के लिए वस्तु तथा इसके द्वारा बने वास्तविक प्रतिबिम्ब के बीच न्यूनतम दूरी होनी चाहिए।
13. लैन्सो का अवर्णक समायोजन बनाता है-
(a) काला व सफेद प्रतिबिम्ब
(b) रंगीन प्रतिबिम्ब
(c) प्रतिबिम्ब जो अपवर्तनांक के तरंगदैर्ध्य के सापेक्ष बदलाव से प्रभावित नहीं होता
(d) बहुत बड़ा प्रतिविम्ब
✅उत्तर-(c): चूँकि अलग-अलग रंग की तरंगदैर्ध्य अलग-अलग होती है। इन भिन्न भिन्न रंगों का प्रतिबिम्ब मुख्य अक्ष पर भिन्न-भिन्न स्थानों पर बनता है। यह समस्या (दोष) इसलिए उत्पन्न होता है, लेंस के पदार्थ का अपवर्तनांक तथा इसके कारण लेंस की फोकस दूरी भिन्न-2 रंगो के लिए भिन्न-भिन्न होती है। इसी दोष को दूर करने के लिए लेंसों का अवर्णक समायोजन किया जाता है।
14. व्यतिकरण सिद्ध करता है-
(a) तरंग की अनुप्रस्थ प्रकृति
(b) तरंग की अनुदैर्ध्य प्रकृति
(c) तरंग प्रकृति
(d) कण प्रकृति
✅उत्तर-(c) : चूंकि प्रकाश तरंगो के रूप में चलता है, अतः प्रकाश तरंगें भी व्यक्तिकरण को दर्शाती है। जब लगभग दो समान आवृत्ति की दो तरंगे किसी माध्यम में एक ही दिशा में गमन करती है तो तरंगों के बीच अध्यारोपण के कारण माध्यम के कुछ बिन्दुओं पर परिणामी तीव्रता का अधिकतम तथा कुछ अन्य बिन्दुओं पर परिणामी तीव्रता के न्यूनतम अथवा शून्य होने की घटना को तरंगों का व्यतिकरण कहते हैं।
15. प्रकाश को धुवित किया जा सकता है-
(a) परावर्तन द्वारा
(b) अपवर्तन द्वारा
(c) प्रकीर्णन द्वारा
(d) उपर्युक्त सभी से
✅उत्तर-(d) : प्रकाश वैद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं। यह अनुप्रस्थ प्रकृति की होती है। प्रकाश को परावर्तन, अपवर्तन, द्विअपवर्तन, द्विवर्णता, प्रकीर्णन तथा पोलेराइड द्वारा धुवित किया जाता है। प्रकाश में विद्युत वेक्टर के कम्पनों को प्रकाश संचरण की दिशा के लम्बवत तल में किसी एक ही दिशा में सीमित कर देने की घटना प्रकाश का भु कहलाती है। उदाहरण स्वरूप
- जब अधुवित प्रकाश किसी पारदर्शी माध्यम (जैसे कांच) से परावर्तित होता है तो वह आशिक रूप से समतल ध्रुवित हो जाता है।
- सामान्य प्रकाश अतिसूक्ष्मकणों (जैसे धूलकण, धुंए के कण तया अणुओं) पर गिरता है तो ये कण प्रकाश को सभी दिशाओं में प्रकीर्णित कर देते हैं।-
16. प्रकाश का ध्रुवण महत्तम होगा, जब इसे एक काँच की सतह पर आपतन कोण से डाला जाता है-
(a) 57°
(b) 67°
(c) 53°
(d) 37°
✅उत्तर- (a): बुस्टर के नियम के अनुसार– परावर्तित प्रकाश में ध्रुवित प्रकाश की मात्रा आपतन कोण पर निर्भर करती है तथा एक विशेष आपतन कोण के लिए परावर्तित प्रकाश पूर्णतया समतल धुवित होता है तथा इसमें वैद्युतवेक्टर के कम्पन आपतन कोण के लम्बवत होते। हैं। इस आपतन कोण को ध्रुवण कोण कहते है
17. एक आदर्श सेल का आन्तरिक प्रतिरोध होता है-
- शून्य
- 1 ओम
- 0.5 ओम
- अनन्त
✅उत्तर- (a)
18. 1.25 वोल्ट 0.75 वोल्ट के दो सेल समान्तर क्रम में जोड़े गये हैं। तुल्य बोल्टेज का मान है-
- 0.75 वोल्ट
- 1.25 वोल्ट
- 2 वोल्ट
- 0.5 वोल्ट
✅उत्तर-(d)
19. सेल का आन्तरिक प्रतिरोध निर्भर करता है
(a) इलेक्ट्रोड के बीच दूरी पर
(b) इलैक्ट्रोड के क्षेत्रफल पर
(c) इलेक्ट्रोड की प्रकृति पर
(d) उपर्युक्त सभी पर
✅उत्तर-(d): सेल के अंदर सेल के विद्युत अपघट्य द्वारा विद्युत धारा के मार्ग में अवरोध उत्पन्न किया जाता है, जिसे सेल का आन्तरिक प्रतिरोध कहते हैं। यह निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है-
- वैद्युत अपघटा की सान्द्रता बढ़ाने पर आन्तरिक प्रतिरोध बढ़ जाता है। इलेक्ट्रोडों के बीच की दूरी के होता है।
- वैद्युत अपघट्य की प्रकृति, इलेक्ट्रोडों के पदार्थ की प्रकृति तथा इनकी आयु पर निर्भर करता है।
- अपघट्य के ताप बढ़ाने पर इसकी श्यानता घट जाने के कारण सेल का आन्तरिक प्रतिरोध भी तद्नुसार घट जाती है।
20. किसी धातु में इलेक्ट्रानों के अनुगमन वेग की दिशा होती है-
(a) लगाये गये क्षेत्र के विपरीत
(b) लगाये गये क्षेत्र की दशा में
(c) लगाये गये क्षेत्र के लंबवत
(d) लगाये गये क्षेत्र की दिशा पर निर्भर नहीं
✅उत्तर- (a)
UP TGT Paper Download, TGT Science Paper Pdf (21-40)
21. एक गैल्वनोमीटर को निम्न में से क्या जोड़ कर अमीटर में बदला जा सकता है-
- एक निम्न प्रतिरोध श्रेणी क्रम में
- एक निम्न प्रतिरोध समान्तर क्रम में
- एक उच्च प्रतिरोध श्रेणी क्रम में
- एक उच्च प्रतिरोध सामान्तर क्रम में
✅उत्तर-(b) अमीटर निम्न प्रतिरोध का एक धारामापी (गैल्वनोमीटर) होता है जिसका प्रयोग किसी वैद्युत प्रतिरोध में प्रवाहित होने वाली वैद्युत धारा के मापन के लिए किया जाता है।
- एक निम्न प्रतिरोध को धारामापी के समान्तर क्रम में जोड़कर, जिसे शन्ट (Shunt) कहते है, उसे अमीटर में परिवर्तित किया जा सकता है। इस संयोजन का परिणामी वैद्युत प्रतिरोध धारामापी एवं शंट के अलग अलग प्रतिरोधों से कम होता है अत: यह संयोजन धारा का अधिक शुद्धता से मापन करता है।
22. एक 10 सेमी लम्बे तार का प्रतिरोध 12 ओम है। इसे एक वृत्त में मोड़ा गया है। इसके व्यास पर दो बिन्दुओं के बीच तुल्य प्रतिरोध बराबर है-
(a) 12 ओम
(b) 6 ओम
(c) 3 ओम
(d) 24 ओम
✅उत्तर-(c)
23. परिपथ के A व B बिन्दुओं के बीच तुल्य प्रतिरोध होगा-
(a) 9 ओम
(b) 6 ओम
(c) 1 ओम
(d) शून्य
✅उत्तर-(c) सभी प्रतिरोधों को समान्तर श्रेणी में जोड़ने पर तुल्य व्याख्या प्रतिरोध (R) प्राप्त होता है। |
24. एक 6 वोल्ट की बैटरी को समान मोटाई व 100 ओम प्रतिरोध के तीन मीटर लम्बे तार से जोड़ा गया है। तार पर 50 सेमी. दूरी पर दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर होगा-
(a) 1 वोल्ट
(b) 1.5 वोल्ट
(c) 2 वोल्ट
(d) 3 वोल्ट
✅उत्तर- (a)
25. चुम्बकीय क्वांटम संख्या सम्बन्धित है –
(a) आकृति
(b) आकार
(c) अभिविन्यास
(d) चक्रण
✅उत्तर-(c): चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या उपकोश के कक्षकों को | प्रदर्शित करती है। यह कक्षकों के अभिविन्यास को अभिव्यक्त करती है। इसे ‘m’ द्वारा व्यक्त करते हैं।
26. एक उच्चायी ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक कुण्डली में धारा का मान प्राथमिक कुण्डली की तुलना में होता है –
(a) बराबर
(b) कम
(c) अधिक
(d) कोई सम्बन्ध नहीं
✅उत्तर-(b): ट्रांसफार्मर अन्योन्य प्रेरण के सिद्धान्त पर आधारित एक युक्ति है जिसके द्वारा प्रत्यावर्ती वोल्टता को अधिक या कम मान में परिवर्तित किया जाता है। ट्रांसफार्मर दो प्रकार के होते है-:
- उच्चायी ट्रांसफार्मर
- अपचायी ट्रांसफार्मर
27. क्वांटम संख्या, जो इलेक्ट्रॉन की स्थिति व ऊर्जा को प्रदर्शित करती है, कहलाती है-
(a) मुख्य क्वांटम संख्या
(b) डिगंशी क्वांटम संख्या
(c) चक्रण क्वांटम संख्या
(d) चुम्बकीय क्वांटम संख्या
✅उत्तर-(a): मुख्य क्वाण्टम संख्या किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन के मुख्य ऊर्जा स्तर तथा नाभिक से इलेक्ट्रॉन कक्ष की औसत दूरी को बताती है। इसे ‘n’ से व्यक्त करते हैं। के सम्भावित मान (n 1,2,3 ..00) अनन्त होते हैं।
28. हाइड्रोजन परमाणु के दो परस्पर कक्षों में इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग में अन्तर होता है-
- h/π
- h/2π
- (x+1)h/2π
- (n-1)h/2π
✅उत्तर-(b)
29. जैसे-जैसे क्वांटम संख्या बढ़ती है, क्रमिक ऊर्जा स्तरों के बीच ऊर्जा में अन्तर –
(a) समान रहता है।
(b) बढ़ता है
(c) पटता है
(d) पहले बढ़ता है फिर घटता है
✅उत्तर-(c)
30. अणु बम आधारित है-
(a) नाभिकीय संलयन के सिद्धान्त पर
(b) नाभिकीय विखण्डन के सिद्धान्त पर
(c) रेडियोधर्मिता पर
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर-(b)
31.किसी धातु का कार्यफलन 1ev है। इस धातु के सतह से कौन-सा विकिरण प्रकाश वैद्युत उत्सर्जन करेगा
(a) 0.5ev
(b) 0.1ev
(c) 2ev
(d) 0.8eV
✅उत्तर-(c) धातु के सतह से विकिरण द्वारा प्रकाश वैद्युत उत्सर्जन के लिए आपतित प्रकाश फोटानों की ऊर्जा धातु के कार्यफलन से अधिक होनी चाहिए,
32. P.N सन्धि डायोड के अवक्षय परत में होते हैं
(a) इलेक्ट्रॉन
(b) कोटर
(c) इलेक्ट्रान तथा कोटर दोनों
(d) केवल स्थिर आयन
✅उत्तर- (d) एक p-टाइप अर्द्धचालक किस्टल तथा एक टाइप अर्द्धचालक क्रिस्टल को एक विशेष विधि द्वारा जोड़ने पर उनकी सन्धि को p-n सन्धि कहते हैं तथा यह निकाय संधि डायोड कहलाता है।
- p-n सन्धि पर एक पतली पर्त ऐसी बन जाती है जिसमें कोई आवेश वॉहक (जैसे इलेक्ट्रान और कोटर) नहीं होता है। इस पर्त को अवक्षय पर्त कहते हैं। इस पर्त में सिर्फ स्थिर आयन होते हैं।
33. पावर सप्लाई परिपथ में डायोड का प्रयोग होता है-
(a) तरंग दिष्टकारी के रूप में
(b) प्रवर्धन के रूप में
(c) दोनों (A) व (B)
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
✅उत्तर– (a) डायोड वाल्व का उपयोग दिकारी (Rectifier) के रूप में किया जाता है अर्थात् इसके द्वारा प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) को। दिष्टधारा (D.C.) में बदला जाता है। यह वाल्व उष्मायनिक उत्सर्जन की क्रिया पर आधारित है। इसमें केवल दो ही इलेक्ट्रोड फिलामेण्ट (तन्तु) और प्लेट होते है
34. केशिका नली में किसी द्रव का चढ़ना किस कारण होता है-
(a) श्यानता
(b) परासरण
(c) विसरण
(d) पृष्ठ तनाव
✅उत्तर-(d) केशनली एक बहुत ही कम व एक समान त्रिज्या वाली खोखली नली होती है। केशनली उतरेगा यह केशनली के व्यास (या त्रिज्या) पर निर्भर करता है।
35. इन तथ्यों में से कौन-सा सही नहीं है-
(a) वाष्पीकरण एक स्वतः प्रक्रिया है।
(b) वाष्पीकरण एक सतह प्रक्रिया है।
(c) ताप बढ़ने के साथ-साथ वाष्पदाब घटता है।
(d) किसी विलयन का वाष्पदाब हमेशा विलायक के वाष्प दाब से कम होता है।
✅उत्तर-(c): द्रव की खुली सतह से प्रत्येक ताप पर धीरे-धीरे द्रव का वाष्प में बदलना वाष्पीकरण कहलाता है। इस प्रकार वाष्पीकरण स्वतः एवं सतही प्रक्रिया है। जैसे-जैसे ताप में वृद्धि होती है द्रव की सतह को छोड़कर जाने वाले अणुओं की संख्या में वृद्धि होती है। अपार मुक्त स्थान में साम्यावस्था पर वाष्प अणुओं की संख्या में वृद्धि होती है। अतः ताप में वृद्धि के साथ वाष्पदाब में वृद्धि होती है।
36. किसी का अणुभार बढ़ाने के साथ-साथ उस श्यानता-
(a) घटती है
(b) बढ़ती है
(c) प्रभाव नहीं पड़ता
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर-(b) किसी द्रव का अणुभार बढ़ाने पर उसकी श्यानता बढ़ती है।
37. पृष्ठ तनाव की ईकाई है-
(a) डायन सेमी
(b) डायन सेमी^-1
(c) डायन सेमी^-2
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर-(b): किसी द्रव का पृष्ठ तनाव उसका एक मुख्य तथा विशिष्ट गुण है। द्रव का स्वतंत्र पृष्ठ सदैव तनाव की स्थिति में रहता है उसमें कम से कम क्षेत्रफल या आकार प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है। द्रव के पृष्ठ का यह तनाव ही पृष्ठ तनाव कहलाता है।
38. द्रवों में लन्दन बल किसमें पाया जाता है-
(a) ध्रुवीय अणुओं मे
(b) अध्रुवीय अणुओं में
(c) हाइड्रोजन बंधीय अणुओं
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर-(b) : द्रवों में अध्रुवीय अणुओं के मध्य एक विशेष प्रकार का आकर्षण बल कार्य करता है, इसे ही प्रकीर्णन बल या लन्दन बल कहा जाता है। इस प्रकार के बल अल्पकालिक ताक्षणिक द्विध्रुवों के निर्माण के कारण उत्पन्न होते है।
- ये अत्यन्त दुर्बल होते हैं। अनेक अध्रुवीय अणु जैसे N2. O2 तथा एक परमाणुक उत्कृष्ठ गैसें जैसे Ne, He, Ar आदि में इस प्रकार के बलों की उपस्थिति सामान्य है।
39. अणुओं का वाष्प अवस्था से द्रव अवस्था में बदलाव कहलाता है-
(a) संपनन
(b) वाष्पीकरण
(c) उर्ध्वपातन
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर- (a): सामान्य रूप में द्रव्य की तीन अवस्थाएं है ठोस, द्रव, तथा गैस इन अवस्थाओं में से किसी एक अवस्था से दूसरी अवस्था में बदलाव को अवस्था परिवर्तन कहते हैं।
40. जल, एथेनॉल तथा डाईएथिल ईथर का क्वथनांक क्रमशः 100°C, 78.5°C और 34.6°C है इनके अंतर आण्विक बल का क्रम होगा
(a) जल> एथेनॉल > डाई एथिल ईथर
(b) एथेनॉल> जल> डाई एथिल ईथर
(c) डाई एथिल ईथर> एवेनॉल> जल
(d) डाई एथिल ईथर> जल>एथेनॉल
✅उत्तर- (a) कुछ यौगिक जैसे पानी (H2O) के क्वथनांक (100°C) तथा हिमांक (0°C) अधिक होते हैं क्योंकि इनमें अन्तरअणुक हाइड्रोजनआबन्धता होती है तथा उनके अणु हाइड्रोजन बन्धता के कारण एक दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं।
- इन यौगिकों के अणुओं को अलग करने के लिए अधिक ऊर्जा देने की आवश्यकता होती है अर्थात् इनका अन्तर अणुक बल ज्यादा होता है। वही कुछ यौगिक जैसे एथेनॉल का क्वथनांक (78°C) कम होता है क्योंकि इनमें अन्तरा अणुक हाइड्रोजन आबन्धता होती है
- तथा बन्ध बनाने वाले परमाणु किसी यौगिक के एक ही अणु के भाग होते हैं अर्थात् इनका अन्तर अणुक बल कम होता है तथा वे वाष्पशील होते हैं।
UP TGT Paper Download, TGT Science Paper Pdf (41-60)
41. किस द्रव की श्यानता सबसे अधिक है-
(a) जल
(b) ग्लाइकॉल
(c) एल्कोहल
(d) एसीटोन
✅उत्तर-(b) : द्रवों का वह गुण जिसके कारण द्रव अपनी मित्र-भित्र पतों में होने वाली आपेक्षिक गति का विरोध करते हैं, श्यानता व गाढ़ापन कहलाती है। यह एक तरह का घर्षण बल है जो द्रव की विभिन्न पतों के बीच कार्य करता है।
- इस प्रकार जो द्रव जितने अधिक गाढ़े होते हैं वे उतने ही अधिक श्यान होते है। शहद, ग्लिसरीन, ग्लाइकाल की श्यानता पानी, एल्कोहाल, एसीटोन की तुलना में अधिक होती है।
42. जल के अणु आपस में किस बंध द्वारा संगठित रहते हैं
(a) सहसंयोजी बंध
(b) हाइड्रोजन बंध
(c) आयनिक बंध
(d) वान्डर वाल्स बल
✅उत्तर-(b): पानी (H2O) के अणु एक दूसरे से हाइड्रोजन बन्ध द्वारा जुड़े होते है। हालांकि प्रत्येक अणु में दो हाइड्रोजन और एक ऑक्सीजन के सहसंयोजक बंध होते हैं। जब पानी के अणुओं को एक साथ रखा जाता है तो उनके आंशिक धन तथा ऋण आवेशों के परस्पर स्थिर विद्युतीय आकर्षण बल के कारण हाइड्रोजन बन्ध बनता है। | हाइड्रोजन आबन्ध दो प्रकार का होता है-
- 1. अन्तर अणुक हाइड्रोजन बन्ध
- 2. अन्तरा अणुक हाइड्रोजन बन्ध उदाहरण- HF तदा H2O में अन्तर अणुक हाइड्रोजन बन्धता होती है।
43. ताप बढ़ने के साथ, द्रव का बहाव –
(a) बढ़ता है।
(b) घटता है
(c) स्थिर रहता है
(d) कोई प्रभाव नहीं
✅उत्तर- (a) श्यानता का दूसरा अर्थ गाढ़ापन भी है, जो द्रव जितने अधिक गाढ़े होते हैं, वे उतने ही अधिक श्यान होते है। शहद और ग्लिसरीन की श्यानता पानी की तुलना में अधिक होती है।
- ताप बढ़ाने पर द्रव की श्यानता घट जाती है तथा बहाव बढ़ जाता है। एक आदर्श तरल की श्यानता शून्य होती है। ताप बढ़ने से श्यानता गुणांक घट जाता है। श्यानता गुणांक के व्युत्क्रम को बहाव कहा जाता है।
41. ऊँचे स्थानों पर पानी कम ताप पर उबलता है, क्योंकि
(a) वहाँ वायुमण्डलीय दबाव कम होता है।
(b) यहाँ वायुमण्डलीय दबाव उच्च होता है।
(c) जल में दुर्बल हाइड्रोजन बंध होता है।
(d) जल, शुद्ध रूप वहाँ पाया जाता है।
✅उत्तर- (a): अधिक ऊँचाई वाले स्थानों पर वायुमंडलीय दाब कम होता है, इसलिए पानी 100°C से कम तापमान पर उबलने लगता है।
- कमरे के सामान्य तापक्रम एवं वायुदाब में पानी 100°C पर उबलता है। वायुदाब पानी के क्वथनांक (उबाल बिन्दु) को प्रभावित करता है।
45. आधुनिक आवर्त नियम दिया गया किसके द्वारा
(a) डॉल्टन
(b) मेण्डलीफ
(c) डॉबेराइनर
(d) मोजले
✅उत्तर-(d) : ‘आधुनिक आवर्त नियम’ मोजले के द्वारा प्रस्तुत किया गया। इन्होंने बताया कि तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणु क्रमांक के ऊपर निर्भर होते है, परमाणुभार पर नहीं। इस प्रकार इन्होंने परमाणु के मौलिक गुणों की व्याख्या के लिए परमाणु क्रमांक को आधार माना आधुनिक आवर्त नियम के प्रतिपादन से मैण्डलीफ की आवर्तसारणी के अधिकांश दोष दूर हो जाते हैं।
- मैण्डलीफ के आवर्त नियम के अनुसार, “तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणुभारों के आवर्त फलन होते है।”
46. आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में है-
(a) 8 तत्व
(b) 32 तत्व
(c) 3 तत्व
(d) 18 तत्व
✅उत्तर- (a) व्याख्या : आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में कुल 8 तत्व हैं। ये तत्व निम्न है- Na, Mg, Al, Si, P, S, Cl तथा Ar इसे ‘लघुआवर्त’ भी कहते है।
47. तत्व कैलिफोर्नियम किस श्रेणी में आता है-
(a) एक्टिनाइड श्रेणी
(b) क्षार श्रेणी
(c) लैंथेनाइड श्रेणी
(d) क्षारीय मृदा श्रेणी
✅उत्तर- (a) व्याख्या तत्व कैलिफोर्नियम (Cf), जिसका परमाणु क्रमांक 98 है. ऐक्टिनाइड श्रेणी का तत्व है।
48. आवर्त सारणी के एक ही समूह के तत्व रखते हैं–
(a) समान प्रोटॉनों की संख्या
(b) समान संयोजकता कक्ष
(c) समान संयोजक्ता इलेक्ट्रॉन
(d) समान इलेक्ट्रॉन बन्धुता
✅उत्तर-(c): आर्वत सारणी के एक ही समूह के तत्वों के परमाणुओं के बाह्यतम इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होते हैं। जैसे हाइड्रोजन से फ्रासियम तक के तत्वों को एक ही समूह में रखा जाता है।
49. Pb का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 4d^10 5s² है।
(a) 4 आवर्त
(b) 6 आवर्त
(c) 7 आवर्त
(d) 8 आवर्त
✅उत्तर-(b)
50. यह तत्व जिसका परमाणु क्रमांक 56 है, आवर्त सारणी के किस ब्लॉक के अन्तर्गत आता है-
(a) 5-block/s-ब्लॉक
(b) p-block/p-ब्लॉक
(c) d-block/d-ब्लॉक
(d) f-block/f-ब्लॉक
✅उत्तर-(a) व्याख्या : आवर्त सारणी में 56 परमाणु क्रमांक Ba का है,
51. आवर्त सारणी के दीर्घ रूप में आवतों की संख्या है-
- 6
- 7
- 8
- 18
✅उत्तर-(b) : दीर्घरूप आवर्त सारणी में 18 उर्ध्वाधर स्तम्भ होते हैं। जिनको समूह कहते हैं। इसमें 7 क्षैतिज कतारें होती है जिनको आवर्त कहते हैं।
52. निम्न से कौन सा परमाणु क्रमांक का युग्म एक ही समूह के तत्वों को प्रदर्शित करता है-
(a) 11, 20
(b) 12,30
(c) 13.31
(d) 14,33
✅उत्तर-(c) : परमाणु क्रमांक 13 और 31 के तत्वों का बाह्य कोश का विन्यास क्रमशः 3s², 3p2 और 3d^10 4s², 3p¹ है। जिन तत्वों में इलेक्ट्रॉन बाह्यकोश (n) के P आर्बिटलों में भरते हैं p-ब्लॉक के तत्व कहलाते हैं।
53. आवर्त सारणी के चौथे आवर्त में तत्वों की संख्या है-
(a) 8
(b) 18
(c) 32
(d) 21
✅उत्तर-(b): चौथे आवर्त में 18 तत्व हैं। चौथा आवर्त पोटेशियम (K) से आरम्भ होकर, क्रिप्टॉन (Kr) पर समाप्त होता है।
54. प्रत्येक आवर्त में बाँए से दाँए चलने पर तत्व का धात्विक प्रवृत्ति-
(a) बढ़ती है।
(b) घटती है
(c) स्थिर रहती है.
(d) बढ़ भी सकती है और घट भी सकती है।
✅उत्तर-(b)
55. निम्नलिखित में सबसे प्रबल अम्लीय ऑक्साइड कौन सा है-
(a) N2O5
(b) P2O5
(c) As2O5
(d) Sb2O5
✅उत्तर- (a) व्याख्या: किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर तत्वों के ऑक्साइडों की क्षारीय प्रकृति घटती जाती है व अम्लीय प्रकृति बढ़ती जाती है। किसी उपवर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर ऑक्साइडों की क्षारीय प्रकृति बढ़ती जाती है तथा अम्लीय शक्ति घटती जाती है।
56. Li किसके साथ विकर्ण सम्बन्ध प्रकट करता है
(a) Na
(b) K
(c) Al
(d) Mg
✅उत्तर-(d)
57. अक्रिय गैसों की परमाण्वीयता होगी-
(a) 1
(b) 3
(c) 2
(d) 4
✅उत्तर- (9) व्याख्या : अक्रिय गैसों की परमाण्वीयता होती है क्योंकि अक्रिय गैसे एक परमाणुक होती है। किसी तत्व के एक अणु में उपस्थित परमाणुओं की संख्या को परमाणुकता कहते हैं।
58. सर्वाधिक धन विद्युती तत्व है-
(a) K
(b) Mg
(c) F
(d) Na
✅उत्तर- (a): किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर तत्वों के ऋण विद्युतीय गुण बढ़ते है
59. सीजियम- आवर्त सारणी में साँवा तत्व वैज्ञानिक के सम्मान में रखा गया है।
(a) Einstein/ आइन्सटीन
(b) Bohr / बोहर
(c) Fermi / फर्मी
(d) Curie / क्यूरी
✅उत्तर-(c) : सौवा तत्व फर्मियम है। यह नाम वैज्ञानिक फर्मी के सम्मान में रखा गया।
60. आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार, तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण किसके आवर्ती फलन होते हैं-
(a) परमाणु क्रमांक
(b) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
(c) परमाणु भार
(d) परमाणु आकार
✅उत्तर- (a): आवर्त सारणी का आधुनिक स्वरूप जो परमाणु संख्या पर आधारित है, निम्नरूप से उल्लेखित किया जा सकता है- “तत्वों के गुणधर्म उनके परमाणु संख्या के आवर्ती फलन होते हैं। तत्वों की परमाणु संख्या (परमाणु क्रमांक) उदासीन परमाणु | विद्यमान प्रोटॉनों अथवा इलेक्ट्रॉनों की संख्या होती है।”
UP TGT Paper Download, TGT Science Paper Pdf (81-100)
61. क्षारीय मृदा धातु है-
(a) Li, Na, K
(b) Fe, Co, Ni
(c) Ba, Sr, Ca
(d) Cu, Ag, Au
✅उत्तर-(c) आवर्त सारणी के S-ब्लॉक में वर्ग II A में 6 तत्व है। बेरिलियम (Be), मैग्नीशियम (Mg), कैल्सियम (Ca), स्ट्रॉन्शियम (Sr), बेरियम (Ba) और रेडियम (Ra)। ये तत्व क्षारीय मृदा धातु कहलाते हैं, क्योंकि ये सभी तत्व धातु है और इनके ऑक्साइड क्षारीय तथा मृदा (Earth, SiO2) के सदृश अगलनीय है। इन तत्वों में Ra रेडियोऐक्टिव हैं।
62. ऑक्सीजन व सल्फर को एक ही समूह मे रखने का कारण है-
(a) बहत्तम परमाणु कक्ष में इलेक्ट्रॉनों की संख्या
(b) उनकी परमाणुकता
(c) उनकी भौतिक अवस्था
(d) उनके अणुओं की संरचनाएँ
✅उत्तर-(a) व्याख्या : ऑक्सीजन और सल्फर को एक ही समूह में, रखने का कारण बहत्तम कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या है।
63. निम्न में से कौन सी अर्द्ध धातु नहीं है-
(a) Sb
(b) Sn
(c) As
(d) Ge
✅उत्तर-(b): जो तत्व धातु और अधातु दोनों के गुण प्रदर्शित करते है, उन्हें उपधातु कहा जाता है। आवर्त सारणी में इनकी स्थिति धातुओं और अधातुओं के मध्य में है। उपधातुओं की संख्या 7 है। जो इस प्रकार है बोरान (B), सिलिकन (Si), जर्मेनियम (Ge). आर्सेनिक (As), एन्टिमनी (Sh), टेलेरियम (Te), पोलोनियम (Po)
64. द्वितीय आवर्त के तत्व कहलाते हैं-
(a) प्रारूपिक तत्व
(b) सेतु तत्व
(c) संक्रमण तत्य
(d) सामान्य तत्व
✅उत्तर-(b) : द्वितीय आवर्त के तत्वों के गुण तृतीय आवर्त के उन तत्वों के गुणों से मिलते जुलते हैं जो उनके विकर्णी अभिमुख है। जैसे द्वितीय आवर्त में लीथियम के गुण तृतीय आवर्त में मैग्नीशियम के गुणों से मिलते है। ये तत्व ब्रिज तत्व (सेतु तत्व) कहलाते है। ये तत्व अपने समूह के दोनों उपवर्गों के तत्वों के मध्य एक सेतु अथवा ब्रिज का कार्य करते हैं।
- तृतीय आवर्त के तत्व प्रतिनिधि तत्व या निरूपक तत्व कहलाते है। ये तत्व अपने समूहों में उपस्थित अन्य तत्वों का आदर्श- प्रतिनिधित्व करते हैं। जिन तत्वों के गुण सेतु तत्वों के गुणों से अधिक समानता रखते हैं, उन्हें सामान्य अथवा नार्मल तत्व कहते हैं। सभी उपवर्गों के तत्व नार्मल तत्व है।
65. निम्न मे कौन सबसे अधिक ऋण विद्युती है-
(a) Mg
(b) Al
(c) S
(d) Cl
✅उत्तर- (d) : किसी तत्व के परमाणुओं द्वारा ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति को उसका ऋण विद्युतीय गुण कहते है अर्थात् किसी अणु में किसी तत्व के परमाणुओं की साझे के इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर आकर्षित करने की प्रवृत्ति को उस तत्व की ऋण विद्युतता कहते हैं।
- किसी आवर्त में बायें से दायें जाने पर ऋण विद्युतताएं क्रम से बढ़ती जाती है। किसी उपवर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों के ऋण-विद्युतीय गुण घटते हैं।
66. निम्न धातुओं की बढ़ती हुई अभिक्रियाशीलता का सही क्रम है –
(a) Na>Mg Zn>Fe
(b) Fe<Mg<Zn<Na
(c) Mg>Na>Zn>Fe
(d) None of these
✅उत्तर- (a) धातुओं की क्रियाशीलता उनकी धनायन बनाने की प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। अतः यदि किसी धातु में धन-विद्युतीय गुण अधिक होगा तो उसकी क्रियाशीलता भी अधिक होगी।
- आवर्त सारणी में बायें से दाये जाने पर क्रियाशीलता घटती है और ऊपर से नीचे जाने पर क्रियाशीलता बढ़ती है।
67. निम्न में से कौन-सी धातु साधारण ताप पर ही जल से अभिक्रिया कर लेती है-
(a) Cu
(b) Fe
(c) Mg
(d) Na
✅उत्तर- (d) सोडियम अत्यन्त ही क्रियाशील तत्व होने के कारण यह मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है। साधारण ताप पर शुष्क हवा और शुष्क ऑक्सीजन का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन आर्द्र हवा में सोडियम की सतह मलिन पड़ जाती है क्योंकि उस पर सोडियम ऑक्साइड की सतह जम जाती है जो ज्वाला से संयोग कर सोडियम हाइड्रॉक्साइड का निर्माण करती है और यह सोडियम हाइड्रॉक्साइड वायु में उपस्थित CO2 से संयोग कर सोडियम कार्बोनेट बनाता है। इसीलिए सोडियम धातु को किरोसीन तेल में रखा जाता है।
68. निम्न में से कौन-सी धातु अम्लों से हाइड्रोजन विस्थापित करती है-
(a) Zn
(b) Cu
(c) Ag
(d) Hg
✅उत्तर- (a): कुछ धातुएं जैसे Cu, Ag और Hg हाइड्रोजन की अपेक्षा कम क्रियाशील होते हैं और अम्लों से हाइड्रोजन विस्थापित नहीं करा पाते लेकिन Zn (जस्ता) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया कर यह H2 गैसे मुक्त करता है।
69. कौन सी अभिक्रिया सम्भव है-
(a) Al + ZnSO4
(b) Zn + ZnSO4
(c) Fe+ ZnSO4
(d) Cu+ZnSO4
✅उत्तर- (a) दिये गये अभिक्रिया में केवल (a) विकल्प सही है। क्योंकि कुछ धातुयें (अधिक क्रियाशील) कम क्रियाशील धातुओं को इसके साल्ट विलयन में विस्थापित कर देते हैं और कम क्रियाशील धातु को मुक्त कर देते हैं।
70. फफोलेदार ताँबा होता है –
(a) शुद्ध कॉपर (तांबा)
(b) ताँबे का अयस्क
(c) ताँबे की मिश्र धातु
(d) ताँबा 2% अशुद्धियाँ होती हैं
✅उत्तर- (d) व्याख्या : फफोलेदार ताँबा में लगभग 98% तांबा और 2% अपद्रव्य (सल्फर, आर्सेनिक, आइरन, सिल्वर, गोल्ड, जिंक, निकिल, कोबाल्ट, लेड तथा अन्य अपद्रव्य) होता है। गलित कॉपर में सल्फर डाई ऑक्साइड की पर्याप्त मात्रा घुली रहती है। इसे ठण्डा करने पर सल्फर डाई ऑक्साइड बुलबुलों के रूप में बाहर निकलती है, जिससे कॉपर की सतह पर फफोले पड़ जाते हैं। | इस कॉपर को फफोलेदार कॉपर कहते हैं।
71. अधातुएँ कुचालक होती है-
(a) ऊष्मा की
(b) विद्युत की
(c) (a) और (b) दोनों की
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर-(c): जो तत्व धातुओं की भाँति व्यवहार नहीं करती है अधातु 2 कहलाती है। अधातुएँ उष्मा और विद्युत आवर्तसारणी में सभी अधातु तत्वों को दायी ओर रखा गया है। की कुचालक | आधुनिक आवर्तसारणी में कुल 22 अधातु तत्व हैं। केवल कार्बन ही ऐसा अधातु है जो विद्युत का अच्छा चालक है। होती है।
72. यदि एल्युमिनियम ऑक्साइड 52.9% एल्युमिनियम तथा कार्बन डाई ऑक्साइड 27.27% कार्बन रखता है। तो व्युत्क्रम अनुपात के नियम को सत्य मानते हुये । एल्युमिनियम कार्बाइड में एल्युमिनियम की प्रतिशत मात्रा कितनी होगी।
(a) 1.123%
(b) 0.375%
(c) 74.97%
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर-(c)
73. बक मिनस्टर फुलैरिन में कार्बन के परमाणुओं की संख्या-
(a) 30
(b) 90
(c) 60
(d) 16
✅उत्तर-(c): ‘बक मिनस्टर फुलेरिन’ कार्बन का एक क्रिस्टलीय अपररूप है। इसके एक अणु में 60 कार्बन परमाणु होते हैं। इसके अणुओं की संरचना फुटबाल जैसी होती है। सर्वाधिक सामान्य फुलरीन C60 है। इसमें 38 फलक होते हैं जिसमें से 12 फलक पंचकोणीय तथा 26 फलक षद्कोणीय होते हैं। कार्बन के सभी अपररूपों में यह सर्वाधिक अस्थाई होता है।
74. डाल्टन के परमाणु सिद्धांतानुसार, एक परमाणु
(a) फिर से उपविभाजित किया जा सकता है।
(b) फिर से उपविभाजित नहीं किया जा सकता है।
(c) न्यूट्रॉन, प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन रखता है
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर-(b): डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त के अनुसार सभी द्रव्य चाहे तत्व, यौगिक या मिश्रण हो, सूक्ष्म कणों से बने होते हैं जिन्हें परमाणु कहते हैं। डाल्टन के निम्न प्रकार से कर सकते हैं-
- परमाणुवाद के सिद्धान्त की विवेचना सभी द्रव्य परमाणुओं से बने होते हैं। परमाणु अविभाज्य सूक्ष्मतम कण होते हैं। परमाणु रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेते हैं। तथा रासायनिक अभिक्रियाओं में परमाणु विघटित या नष्ट नहीं होते हैं।
- दिए गए तत्व के सभी परमाणुओं के द्रव्यमान एवं रासायनिक गुणधर्म समान होते हैं।
75. जब एक उदासीन परमाणु धनायन में बदलता है तब-
(a) परमाणु क्रमांक में कमी होती है।
(b) परमाणु क्रमांक में वृद्धि होती है।
(c) आकार में कमी होती है।
(d) आकार में वृद्धि होती है।
✅उत्तर-(c): एक धनायन का निर्माण किसी उदासीन परमाणु द्वारा एक या अधिक इलेक्ट्रॉन त्यागने पर होता है। धनायन की त्रिज्या परमाणु से छोटी हो जाती है इसलिए परमाणु के आकार में कमी होती है। रासायनिक अभिक्रियाओं में परमाणुओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या में वृद्धि या कमी हो जाती है लेकिन प्रोटॉनों की संख्या में कोई अन्तर नहीं आता है
76. अणु में मुख्यतः होते हैं-
(a) न्यूट्रॉन
(b) प्रोटॉन
(c) इलेक्ट्रॉन
(d) प्रोटॉन, इलेक्ट्रॉन और न्यूट्रॉन
✅उत्तर- (d): परमाणु किसी तत्व का सूक्ष्मतम कण है जो उस तत्व की रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेता है। परमाणु इलेक्ट्रॉनों प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों से मिलकर बना होता है। अणु परमाणुओं के मिलने से बनते हैं। रासायनिक अभिक्रिया में परमाणु के बाह्यतम कक्षा में इलेक्ट्रॉन भाग लेते हैं।
77. नाभिक की त्रिज्या तथा परमाणु की त्रिज्या का अनुपात है-
(a) 10
(b) to
(c) 10
(d) 10*
✅उत्तर-(c)
78. किसी तत्व M का परमाणु क्रमांक और द्रव्यमान संख्या क्रमशः 25 व 52 हैं तब M” आयन में इलेक्ट्रॉनों,प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की संख्या क्रमशः होगी-
(a) 25,25 at 27
(b) 25, 27 और 25
(c) 27,25 27
(d)23, 25 और 27
उत्तर-(d) व्याख्या रासायनिक अभिक्रियाओं में इलेक्ट्रॉनों की संख्या में वृद्धि या कमी हो जाती है लेकिन प्रोटॉनों की संख्या में कोई अन्तर नहीं आता है। परमाणु क्रमांक नहीं बदलता है। उपरोक्त प्रश्न में 3M उदासीन परमाणु है। Mउत्तर- (धनायन) की स्थिति में 2 इलेक्ट्रॉनों की कमी होगी, प्रोटॉनों की संख्या में कोई कमी नहीं होगी। अतः (इलेक्ट्रॉन = 23, प्रोटॉन =25)
तब न्यूट्रॉन (N)=-
- सूत्र, (A=Z+N)
- 52 = 25+ N
- N-52-25-27
79. किसी परमाणु का परमाणु भार किसके कारण होता है-
(a) प्रोटॉन और न्यूट्रॉन
(b) इलेक्ट्रॉन और न्यूट्रॉन
(c) प्रोटॉन
(d) प्रोटॉन, इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन
✅उत्तर- (a) किसी तत्व का परमाणु भार वह संख्या है जो यह प्रदर्शित करती है कि तत्व का एक परमाणु कार्बन 12 के परमाणु के बारहवें भाग द्रव्यमान अथवा हाइड्रोजन के 1.008 भाग द्रव्यमान से कितने गुना भारी है। चूंकि परमाणु का द्रव्यमान प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों के कारण होता है। अतः किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की संख्याओं के योग को उस परमाणु की द्रव्यमान संख्या या परमाणु भार कहते है। द्रव्यमान संख्या = प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या
80.निम्न में से कौन पदार्थ नहीं है-
(a) कोहरा
(b) आर्द्रता
(c) क्वयनक
(d) रूधिर
✅उत्तर-(c) : प्रत्येक ऐसी वस्तु जिसमें कुछ भार होता है, जो स्थान घेरती है व जिसका अनुभव हम अपनी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा कर सकते है. द्रव्य या पदार्थ कहलाती है। पदार्थों को तीन वर्गों में बांटा गया। है ठोस, द्रव, गैस
81. एक पदार्थ जिसकी आकृति और आयतन निश्चित है-
(a) गैस
(b) द्रव्य
(c) टोस
(d) इनमें से कोई भी
✅उत्तर-(c) : द्रव्य की तीन अवस्थायें होती हैं- ठोस, द्रव तथा गैस वह द्रव्य ठोस अवस्था में कहलाता है जिसकी निश्चित आकृति तथा निश्चित आयतन होता है। द्रव का निश्चित आयतन होता है, परन्तु निश्चित आकृति नहीं होती है गैस का न तो निश्चित आकृति होता | है और न ही निश्चित आयतन होता है। उदाहरण- ठोस- लकड़ी, कोयला आदि द्रव- पेट्रोल, डीजल, जल आदि गैस- O2, गैस, H2, गैस L.P.G. आदि।
82. निम्न में से कौन यौगिक नहीं है-
(a) संगमरमर
(b) धोने का सोडा
(c) चूना
(d) पीतल
✅उत्तर-(d) : पीतल (Brass), तांबा (Cu) और जस्तै (Zn) का मिश्रण है। दो या दो से अधिक तत्वों या यौगिकों के स्वच्छन्द अनुपात में योग से प्राप्त पदार्थ, जिसमें अवयव अपनी पहचान बनायें रखते हैं, मिश्रण कहलाता है।
- ब्रास, स्टेनलेस स्टील, ब्रॉन्ज आदि मिश्रधातु, काँच, रत्न आदि समांग मिश्रण है। जबकि यौगिक वे शुद्ध पदार्थ होते हैं जो एक से अधिक तत्वों के परमाणुओं के एक निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोग से बना होता है। जैसे जल एक यौगिक है।
83. मिश्रण किसका परिणाम है-
(a) भौतिक परिवर्तन
(b) रासायनिक परिवर्तन
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर-(a) : मिश्रण वह अशुद्ध पदार्थ है, जो दो या दो से अधिक शुद्ध पदार्थों (तत्वों या यौगिकों या दोनों) के किसी भी अनुपात बिना रासायनिक संयोग के बनता है
- जिसके अवयवी पदार्थों को सरल, यांत्रिक या भौतिक विधियों द्वारा पृथक किया जा सकता है। उदाहरण स्वरूप पीतल, तांबा और जस्ता का मिश्रण है, समुद्रीजल कई लवणों का जल में मिश्रण है,
84. एक यौगिक रखता है निश्चित
(a) गलनांक
(b) क्वदनांक
(c) गलनांक और क्वयनाक दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर-(c) : यौगिक एक पदार्थ है जो रासायनिक रूप से दो या दो से अधिक तत्वों के संयोग से बना है। एक शुद्ध यौगिक में हमेशा तत्वों के द्रव्यमान निश्चित या स्थिर अनुपात में होते है।
- यौगिक के गलनांक तथा क्वथनांक दोनों निश्चित होते हैं। उदाहरण जल एक यौगिक है जिसका गलनांक (0°C) तथा क्वथनांक (100°C) निश्चित है।
85. इलेक्ट्रॉन के बारे में कौन सा तथ्य सही नहीं है
(a) यह एक कण है
(b) यह तरंग के समान है
(c) कक्षों में घूमते समय, ऊर्जा निकलता है
(d) चुम्बकीय क्षेत्र लगाने पर इसकी गति प्रभावित होती है।
✅उत्तर-(c) : फ्रांस के वैज्ञानिक द ब्राली ने इलेक्ट्रॉन की तरंग प्रकृति का प्रतिपादन किया। इनके अनुसार, किसी परमाणु में चक्कर लगाने वाले इलेक्ट्रॉन में कण और तरंग दोनों के गुण विद्यमान होते हैं।
- नीत्सबोर के अनुसार, परमाणु के नाभिक के चारों ओर अनेक | वृत्तीय कक्षाएं सम्भव है लेकिन इलेक्ट्रॉन इन सभी कक्षाओं में नहीं घूमते हैं। प्रत्येक इलेक्ट्रॉन के साथ उसकी गति तथा स्थिति के कारण ऊर्जा की एक निश्चित मात्रा निहित होती है।
- किसी एक निश्चित कक्ष में घूमने वाले सभी इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जाएं समान होती है। इलेक्ट्रॉन स्थायी कक्षाओं में घूमते हुए ऊर्जा का उत्सर्जन नहीं करते हैं अर्थात् इस क्रिया में ऊर्जा का ह्रास नहीं होता है।
- जीमन प्रभाव के अनुसार, जब किसी पदार्थ या परमाणु से विकिरण का उत्सर्जन हो रहा हो, उसे चुम्बकीय क्षेत्र में रख देने पर उसकी स्पेक्ट्रम रेखाएं विभक्त हो जाती हैं।
86. किसी नाभिक के चारों तरफ घूमते हुये इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा होती है-
(a) शून्य
(b) शून्य से कम
(c) शून्य से अधिक
(d) कुछ परमाणु में शून्य से कम तथा कुछ में शून्य से अधिक
✅उत्तर-(b) किसी नाभिक के चारों ओर घूमते हुए इलेक्ट्रॉन की कुल ऊर्जा का मान (13.66V) ऋणात्मक होता है। कक्षाओं में क्रम से बढ़ने पर इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा बढ़ती जाती है। अर्थात जो इलेक्ट्रॉन नाभिक के समीप होते हैं उनकी ऊर्जा कम होती हैं
- जो इलेक्ट्रॉन नाभिक से अधिक दूरी पर होते हैं उनकी ऊर्जा अधिक होती है। इलेक्ट्रॉन के परमाणु से बाहर निकल जाने पर उसकी ऊर्जा शून्य हो जाती है जो परमाणु में इलेक्ट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा है।
87. किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन को पहचाना जा सकता है –
(a) चक्रण द्वारा
(b) आवेश द्वारा
(c) उस मार्ग द्वारा जिस पर यह चक्रण कर रहा है।
(d) चारों क्वाण्टम संख्या द्वारा
✅उत्तर-(b) इलेक्ट्रॉन सभी पदार्थों का मौलिक कण है। ये सभी तत्वों (पदार्थों) के परमाणुओं में उपस्थित होते है।
88. – एक इलेक्ट्रॉन किसके समान है-
(a) वीटा-कण
(b) अल्फा कण
(c) न्यूट्रॉन
(d) मैसोन
✅उत्तर- (a) व्याख्या : वीटा-किरणे ऋण आवेश युक्त अत्यंत सूक्ष्म कणों की बनी होती है। इन कणों के लिए आवेश और द्रव्यमान का अनुपात कैथोड किरणों में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों के समान होता है। इस प्रकार ये किरण इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह को दर्शाती हैं।
89. यदि एक परमाणु अपनी मूल अवस्था में 2K, 8L, 18M और 2N इलेक्ट्रॉन रखता है तब कुल चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या m = 0 में इलेक्ट्रानों की संख्या है।
(a) 6
(b) 10
(c) 7
(d) 14
✅उत्तर- (d)
90. यदि किसी इलेक्ट्रॉन की चक्रण क्वाण्टम संख्या +1/2 तथा चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या (-1) है तो यह किस कक्षक को प्रदर्शित करेगा-
(a) s-कक्षक
(b) p कक्षक
(c) d-कक्षक
(d) f-कक्षक
✅उत्तर-(b)
92. यदि इलेक्ट्रॉन की स्थिति में अनिश्चितता शून्य है, तो संवेग में अनिश्चितता होगी-
- शून्य
- h/4π से अधिक
- h/4π से कम
- अनन्त
उत्तर- (d)
93. H+ आयन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है-
(a) 1s°
(b) 1s¹
(c) 1s²
(d) 1s² 2s¹
✅उत्तर- (a) व्याख्या हाइड्रोजन का परमाणु क्रमांक 1 है। इसलिए उसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s¹ होगा लेकिन H+ आयन में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s° होगा क्योंकि H. हाइड्रोजन आयन (H+) की स्थिति में एक इलेक्ट्रॉन का त्याग करता है।
94. एक तत्व जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s², 2s² 2p6, 3s²,3p² है। उसमें संयोजकता इलेक्ट्रॉन की संख्या होगी-
(a) 4
(b) 6
(c) 2
(d) 3
✅उत्तर- (a)
95. ट्राइटियम रेडियोसक्रिय विघटन पर देता है
(a) a- कण
(b) B-कण
(c) न्यूट्रॉन
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर-(b)
97. निम्न में से कौन व्युत्पन्न मात्रक नहीं है-
(a) आवृत्ति
(b) प्लांक नियतांक
(c) गुरुत्वाकर्षण नियतांक
(d) विद्युत धारा
✅उत्तर-(d) विद्युत धारा एक मूल राशि है अर्थात् इसे व्यक्त करने के लिए दूसरी राशियों की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसका मात्रक ऐम्पियर (A) है। गुरूत्वाकर्षण नियतांक (G) का मात्रक = न्यूटन मी²/किग्रा² प्लांक नियतांक (h) का मात्रक Joule Second
99. पृष्ठीय क्षेत्रफल है-
(a) अदिश
(b) सदिश
(c) न अदिश न सदिश
(d) संदिश व अदिश दोनों
✅उत्तर-(b): पृष्ठीय क्षेत्रफल एक अदिश राशि है। इसमें क्षेत्रफल भी अदिश राशि है। नियत आकृति के पृष्ठ के क्षेत्रफल में परिमाण तो है, परन्तु निश्चित दिशा नहीं है।
UP TGT Paper Question No. (100-125)
100. यदि वेग- समय ग्राफ समय अक्ष के समान्तर हो तो
(a) वस्तु नियत वेग से चल रही है।
(b) इसका त्वरण शून्य है।
(c) ग्राफ का क्षेत्रफल निकाल कर इसके विस्थापन का मान निकाला जा सकता है।
(d) उपर्युक्त सभी
✅उत्तर-(d): वस्तु जब नियत वेग से चलती है तो उसका त्वरण शून्य होता है। वेग समय ग्राफ के अन्तर्गत आने वाला क्षेत्रफल वस्तु के विस्थापन के बराबर होता है।
101. यदि एक वस्तु कुछ दूरी चलकर वापस अपने उसी बिन्दु पर आ जाती है जहाँ से वह चली थी तो
(a) औसत वेग शून्य है
(b) औसत चाल शून्य है
(c) चली दूरी शून्य है
(d) उपर्युक्त सभी
✅उत्तर- (a): जब कोई वस्तु गतिमान होती है तो समय के साथ-साथ उसकी स्थिति में भी परिवर्तन होता है। यदि एक वस्तु कुछ दूरी चलकर वापस अपने उसी बिन्दु पर आ जाती है जहाँ से वह चली थी तो विस्थापन शून्य होगा।
102. कैपलर-II का दूसरा नियम परिणाम है-
(a) ऊर्जा संरक्षण का
(b) रेखीय संवेग संरक्षण का
(c) कोणीय संवेग संरक्षण का
(d) इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर-(c) व्याख्या: कैपलर के द्वितीय नियम के अनुसार, सूर्य से किसी ग्रह को मिलाने वाली रेखा समान समय अन्तरालों में समान क्षेत्रफल तय करती है। यह नियम इस प्रेक्षण से प्रकट होता है कि यह उस समय धीमी गति से चलते प्रतीत होते हैं
- जब वे सूर्य से अधिक दूरी पर होते हैं। सूर्य के निकट होने पर ग्रहों की गति अपेक्षाकृत तीव्र होती है। क्षेत्रफलों के नियम को कोणीय संवेग संरक्षण का निष्कर्ष माना जा सकता है जो सभी केन्द्रीय बलों के लिए मान्य है।
103. सरल रेखा में गति करते एक कण का विस्थापन है जहाँ सेमी तथा सेकण्ड में है। कण का प्रारम्भिक वेग है- S= 8t²+3t-5
(a) 3 सेमी/सेकण्ड
(b)16 सेमी/सेकण्ड
(c)19 सेमी/सेकण्ड
(d) शून्य
✅उत्तर- (a)
103. यदि पृथ्वी की त्रिज्या 6400 किमी. है तो इसकी विषुवत् रेखा पर स्थित एक बिन्दु का कोणीय वेग होगा–
(a) 7.3×10^-5 rad/sec/रेडियन/सेकण्ड
(b) 7.3×10^-6 rad/sec/ रेडियन/सेकण्ड
(c) 10×10^-5 rad/sec/रेडियन/सेकण्ड
(d) 1.5×10^-5 rad/sec/रेडियन/सेकण्ड
✅उत्तर-(a)
104. एक वस्तु का वेग, समय पर निम्न समीकरण के अनुसार निर्भर करता है- v = 20+ 0.1t² से वस्तु गति कर रही है-
(a) समान त्वरण से
(b) समान अवमंदन से
(c) असमान त्वरण से
(d) शून्य त्वरण से
✅उत्तर-(c)
105. एक सीधी रेखा में चलते कण का प्रारम्भिक वेग 10 मी./से. तथा इसका मंदन 2मी./से. है। इस कण द्वारा पांचवें सेकेण्ड में चली दूरी होगी-
(a) 1 मी.
(b) 19 मी.
(c) 50 मी.
(d) 75 मी.
✅उत्तर- (a)
106. एक वस्तु जिसका द्रव्यमान 500 किग्रा. है 200 मी./से. बेग से ऊपर की ओर फेंकी जाती है। वापस आते हुये प्रारम्भिक बिन्दु पर इसकी चाल होगी-
(a) 2000 मी./से.
(b) 200 मी./से.
(c) 980 मी./से.
(d) 1000 मी./से.
✅उत्तर – (b)
107. एक वस्तु 4.9 मी./से. के वेग से ऊपर की तरफ जाती है। ये जमीन से कितने समय बाद टकरायेगी-
(a) 2 sec/से.
(b) 1 sec/से.
(c) 1.5 soc/से.
(d) 0.5 sec/से.
✅उत्तर- (d)
108. एक घर्षण रहित मेज पर एक वस्तु जिसका द्रव्यमान 2 किग्रा. है 4 मी./से. के नियत वेग से चल रही है। वस्तु को इसी वेग से चलते रहने के लिये बल की आवश्यकता होगी-
(a) 8 न्यूटन
(b) शून्य न्यूटन
(c) 12 न्यूटन
(d) 2 न्यूटन
✅उत्तर-(b)
109. एक गतिशील वस्तु का कोणीय संवेग हमेशा नियत रहेगा यदि-
(a) परिणामी बाह्य बल लगा हो
(b) परिणामी दाब लगा हो
(c) परिणामी बाह्य आघूर्ण लगा हो
(d) परिणामी बाह्य आघूर्ण न लगा हो
✅उत्तर- (d): कणों के किसी निकाय पर अरोपित कुल बाह्य बल आघूर्ण यदि शून्य हो तो उस निकाय का कुल कोणीय संवेग संरक्षित रहता है अर्थात् अचर रहता है।
111. किसी कण का रेखीय संवेग निम्न सम्बन्ध द्वारा p= a + bt² दिया है, जहाँ समय तथा a और b नियतांक है। कण पर लगने वाले बल में बदलाव अनुक्रमानुपाती होगा-
(a) 1°
(b) t
(c) t²
(d) t³
✅उत्तर-(b): कणों के एक निकाय का कुल रेखीय संवेग, निकाय के कुल द्रव्यमान तथा इसके द्रव्यमान केन्द्र के वेग के बराबर होता है।
112. F बल के अंतर्गत एक m द्रव्यमान का कण r त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर नियत चाल से चल रही है। इसकी चाल है।
(a) √(Fr/m)
(b) √F/r
(c) √Fmr
(d) √F/mr
✅उत्तर- (a) व्याख्या: जब कोई पिण्ड एक समान चाल से त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर गति करता है, तो वृत्ताकार पथ में केन्द्र की ओर एक बल कार्य करता है जिसे अभिकेन्द्री बल कहते हैं।
113. एक उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर एक दीर्घवृत्ताकार कक्षा में घूमता है। पृथ्वी को उपग्रह से मिलाने वाली रेखा द्वारा तय किये क्षेत्रफल में परिवर्तन की दर अनुक्रमानुपाती है।
- r^½
- r
- r^3/2
- r²
✅उत्तर-(c) : केपलर के तृतीय नियम के अनुसार, किसी ग्रह के परिक्रमण काल (T) का वर्ग उस ग्रह की सूर्य से औसत दूरी (F) के धन के अनुक्रमानुपाती होता है।
115. पृथ्वी से प्रक्षेपित किये गये प्रक्षेप्य के लिये निम्न में से क्या हमेशा नियत रहता है-
(a) संवेग
(b) गतिज ऊर्जा
(c) वेग का ऊर्ध्वाधर घटक
(d) वेग का क्षैतिज घटक
✅उत्तर-(d) : जब कोई वस्तु प्रक्षेपित की जाय तो उसे प्रक्षेप्य कहते। है। किसी प्रक्षेप्य गति को दो अलग-अलग समकालिक गतियों के घटक के परिणाम के रूप में लिया जा सकता है। इनमें से एक घटक बिना किसी त्वरण के क्षैतिज दिशा में होता है तथा दूसरा गुरुत्वीय बल के कारण एक समान त्वरण से उर्ध्वाधर दिशा में होता है। वेग के दो घटकों में से एक घटक (वेग का क्षैतिज पटक) गति की पूरी अवधि में स्थिर रहता है जबकि y घटक (वेग का उर्ध्वाधर घटक) परिवर्तित होता है।
116. यदि पृथ्वी सिकुड़ कर वर्तमान त्रिज्या से एक तिहाई गुणा कम त्रिज्या की हो जाती है। तो गुरुत्वीय त्वरण होगा-
- (⅔) g
- (3/2) g
- (4/9) g
- (9/4) g
✅उत्तर- (a) : पृथ्वी की त्रिज्या कम होने पर g का मान घटेगा यदि
117. केल्विन स्केल पर 0°C का सही मान है-
- 273.15 K
- 273.16K
- 273K
- 273.2K
✅उत्तर-(b): जल के त्रिक बिन्दु के उष्मागतिक ताप के 1/273.16 वें भाग को केल्विन कहते हैं। इस प्रकार 0°C का केल्विन स्केल पर मान 273.16K है केल्विन को K से निर्देशित करते हैं।
118.पृथ्वी की सतह से पृथ्वी की त्रिज्या के बराबर ऊँचाई पर गुरूत्वीय त्वरण है-
- g
- g/2
- g/4
- g/8
✅उत्तर-(c):
119. एक सरल लोलक के लिये L तथा T के बीच ग्राफ होगा-
- अति परवलय
- परवलय
- सीधी रेखा
- वक्रीय रेखा
✅उत्तर-(b)
120. 253 केल्विन का मान फॉरहैनाइट स्केल पर है-
- -4°
- 4°F
- 12°F
- 36° F
✅उत्तर- (a)
121. किसी पदार्थ का तापमान 27°C बढ़ाया जाता है। केल्विन स्केल पर यह बढ़ोत्तरी बराबर है-
- 300K/ केल्विन
- 2.46 K/ केल्विन
- 27 K/ केल्विन
- 7K/ केल्विन
✅उत्तर- (a)
122. दो पिण्ड तापीय साम्य में कहे जायेंगे जब-
- दोनों समान ताप पर होंगे
- दोनों के पास समान ऊष्मा होगी परन्तु ताप अलग- अलग होंग
- ऊष्मा का प्रवाह हो
- इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर- (8) उष्मागतिकी में साम्यावस्था से तात्पर्य, निकाय की उस अवस्था से है जब निकाय को अभिलक्षणित करने वाले स्थूल चर समय के साथ परिवर्तित नहीं होते। भिन्न-भिन्न ताप पर दो वस्तुएं जब एक दूसरे के सम्पर्क में लाई जाती है तो इस समय दोनों के बीच उष्मा का आदान-प्रदान होता है। गरम वस्तु से ठंडी वस्तु में उष्मा का स्थानान्तरण हो रहा है। अन्ततः एक ऐसी स्थिति आ जाती है जब एक वस्तु से दूसरी वस्तु में अब और ऊर्जा का प्रवाह नहीं होता। इस स्थिति को तापीय साम्य की स्थिति कहते है। इस स्थिति में यह कहा जाता है कि दोनों वस्तुओं का ताप समान है।
123. जब एक धातु की छड़ को गर्म करते हैं तो इसका प्रसार होता है क्योंकि-
- इनके परमाणुओं का आकार बढ़ता है
- इनके परमाणुओं के बीच दूरी बढ़ती है
- सही कारण का पता नहीं है
- इनमें से कोई नहीं
✅उत्तर-(b): जब एक धातु की छड़ को गर्म करते हैं, ताप बढ़ने पर पदार्थों के अणुओं के बीच की दूरी बढ़ जाती है।
124. जब एक कॉपर बॉल को गर्म किया जाता है, तो किसमें अधिकतम प्रतिशत वृद्धि होगी इसके-
(a) व्यास में
(b) क्षेत्रफल में
(c) आयतन में
(d) घनत्व में
✅उत्तर-(c): किसी वस्तु के ताप में वृद्धि होने पर उसकी बिमाओं में वृद्धि होने को तापीय प्रसार कहते हैं। लम्बाई में प्रसार को रैखिक प्रसार, क्षेत्रफल में प्रसार को क्षेत्र प्रसार, आयतन में प्रसार को आयतन प्रसार हैं। कॉपर बॉल को गर्म करने पर रैखिक प्रसार, आयतन प्रसार में बदल जाता है तथा इसके आयतन में वृद्धि | हो जाती है।
125. एक वर्तन, जिसका रेखीय प्रसार गुणांक a है, में द्रव भरा है। द्रव का आयतन प्रसार गुणांक y है। यदि गर्म करने पर द्रव वर्तन से बाहर निकल जाता है तब-
- y= 3a
- y> 3a
- y<3a)
- y > 3a²
✅उत्तर-(b)